CGSB News | नारायणपुर/सुकमा,
नारायणपुर/सुकमा, 16 अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में 79वें स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर एक ऐतिहासिक पल देखने को मिला। नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में ओरछा जनपद के अंतर्गत ग्राम पंचायत कोगे के आश्रित ग्राम बिनागुंडा के स्कूल में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया—वह भी उसी माओवादी ‘शहीद स्मारक’ पर, जहां कभी उग्रवाद का प्रतीक माना जाता था। यहां स्कूल भवन नहीं है और झोपड़ी में शाला लगती है, फिर भी गांव वालों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर तिरंगा फहराया और आजादी का जश्न मनाया।
नक्सलगढ़ से राष्ट्रगान की गूंज तक
जो इलाका कभी माओवादियों का गढ़ माना जाता था, वहीं रविवार सुबह से (15 अगस्त) गांव में उत्साह छाया रहा।
महिलाएं ताजे फूलों की मालाएं बना रही थीं, बच्चे हाथों में तिरंगे लेकर दौड़ते-खेलते नजर आए और बुजुर्ग तैयारियों की अगुवाई करते दिखे।
जिस चौक पर कभी माओवादी सभाएं होती थीं, वहां सुरक्षा बलों और ग्रामीणों ने मिलकर झंडावंदन किया।
तिरंगा लहरते ही इलाका “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” के नारों से गूंज उठा।
विकास की बयार: काले झंडों से तिरंगे तक
सुकमा जिले के अंदरूनी गांव तुमलपाड़ और पूवर्ती सहित कई इलाकों में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर तिरंगा फहराया गया।
सुरक्षा बलों के कैंप खुलने के बाद सड़क, नेटवर्क, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्य जनकल्याणकारी योजनाएं तेजी से पहुंच रही हैं।
कभी काले झंडे और ‘फरमान’ देखने-सुनने वाले इन इलाकों में अब तिरंगे के आगे सिर झुक रहे हैं।
15 अगस्त को भारी जनउपस्थिति ने दिखा दिया कि ग्रामीणों के बीच विश्वास और भरोसा मजबूत हो रहा है।
‘आजादी’ का नया अर्थ: डर नहीं, विकास की बात
ग्रामीणों ने कहा कि उनके लिए यह दिन सिर्फ पर्व नहीं, नए जीवन की शुरुआत है—अब बंदूक और बारूद नहीं, शिक्षा, सड़क और रोज़गार की बातें होंगी। आने वाली पीढ़ियां तिरंगे के साये में आगे बढ़ेंगी, न कि डर के माहौल में।
प्रशासन व सुरक्षा बलों की भूमिका
केंद्र और राज्य स्तर पर चल रहे नक्सल-मुक्त भारत अभियान के साथ ज़मीनी स्तर पर सुरक्षा बलों की सतत मौजूदगी, कैंप निर्माण और बेसिक सुविधाओं की डिलीवरी ने हालात बदले हैं।
इस पर सुकमा पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने इसे विश्वास-निर्माण की दिशा में अहम कदम बताते हुए क्षेत्र में जारी विकास और शांति प्रयासों को निरंतर बनाए रखने की बात पर जोर दिया।
ग्राउंड से बड़ी बातें (One-Glance Updates)
स्थान: नारायणपुर (अबूझमाड़, ओरछा जनपद—कोगे/बिनागुंडा) और सुकमा के अंदरूनी गांव (तुमलपाड़, पूवर्ती)
हाइलाइट: माओवादी शहीद स्मारक पर तिरंगा—प्रतीकात्मक पल
शिक्षा की तस्वीर: स्कूल भवन नहीं, झोपड़ी में कक्षा—फिर भी जोश और भागीदारी
लोगों की भागीदारी: महिलाओं की मालाएं, बच्चों के हाथों में तिरंगे, बुजुर्गों की अगुवाई
विकास संकेत: सड़क, नेटवर्क, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाएं—कैंप खुलने के बाद तेज रफ्तार
मैसेज: डर से विकास तक—तिरंगे ने बदली फिज़ा