CGSB News | धर्म-आस्था डेस्क
पूरे देश में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी शनिवार, 16 अगस्त 2025 को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का 5252वाँ जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। परंपरा के अनुसार, इस दिन अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि को मथुरा नगरी में भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य हुआ था।
जन्माष्टमी को विभिन्न नामों से जाना जाता है — गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती और श्री जयंती। देशभर के मंदिरों में झूलों की सजावट, रास-लीलाएँ, भजन-कीर्तन और दही हांडी उत्सव इस पर्व की शोभा को चार चाँद लगा देंगे।
✨ तिथि और पूजन विधि
तिथि: शनिवार, 16 अगस्त 2025
उपवास: भक्तजन दिनभर उपवास करेंगे और रात 12 बजे नंदलाल का जन्मोत्सव मनाएँगे।
पूजन: भगवान को पंचामृत स्नान, ताज़े पुष्प, माखन-मिश्री और तुलसीदल अर्पित किया जाएगा।
उत्सव: मध्यरात्रि आरती, मंदिरों में झांकी और घरों में झूलों की सजावट।
🌼 क्यों है श्रीकृष्ण की पूजा विशेष?
पाँच हज़ार से अधिक वर्ष बीत जाने के बावजूद, लोग आज भी श्रीकृष्ण का नाम श्रद्धा से जपते हैं। यह केवल उनके चमत्कारिक जीवन की वजह नहीं, बल्कि उनके आध्यात्मिक संदेश और गीता ज्ञान का परिणाम है।
श्रीकृष्ण को ‘वासुदेव’ कहा जाता है।
इसका अर्थ है — ऐसा पुरुष जो भोग-विलास में रहते हुए भी मोक्ष का अधिकारी होता है।उन्होंने 16,000 रानियाँ होने के बावजूद अपने अंतर में ब्रह्मचर्य का संकल्प बनाए रखा।
उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि बाहरी कर्म नहीं, बल्कि आंतरिक भाव (inner intent) ही कर्मबंधन और मोक्ष का निर्धारण करते हैं।
⚔️ महाभारत और गीता का संदेश
महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन मोह में फँस गए, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का अमृत ज्ञान दिया—
“तुम शरीर नहीं हो, तुम आत्मा हो। तुम्हें जो करना है, वह तुम्हारा कर्म है। कर्म करते रहो, लेकिन आत्मा का बोध बनाए रखो।”
यही शिक्षा आज भी जीवन में निष्काम कर्म का मार्ग दिखाती है।
🔱 सुदर्शन चक्र का वास्तविक अर्थ
भगवान श्रीकृष्ण की उंगली पर घूमते सुदर्शन चक्र का अर्थ केवल एक शस्त्र नहीं है।
“सुदर्शन” = सम्यक दर्शन (सही दृष्टि)
यह आत्मज्ञान का प्रतीक है— “मैं आत्मा हूँ, यह शरीर नहीं।”
जब यह बोध होता है, तब अज्ञान के आवरण कट जाते हैं और व्यक्ति मोक्षमार्ग की ओर बढ़ता है।
🐍 कालिय दमन की वास्तविकता
कथा है कि बालकृष्ण ने यमुना में बसे विषैले नाग कालिय को परास्त किया।
परंतु इसका वास्तविक अर्थ है—
“कालिय” = क्रोध और काम जैसी विषैली प्रवृत्तियाँ।
जब कोई अपने भीतर के क्रोध को जीत लेता है, तब वही श्रीकृष्ण है।
🏔️ गोवर्धन धारण का रहस्य
कथाओं में आता है कि श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत अपनी उंगली पर उठा लिया।
वास्तविक अर्थ यह है कि श्रीकृष्ण ने गाय-पालन और गोसंरक्षण का संदेश दिया।
गोवर्धन पर्वत = गोपालन का महत्त्व।
उन्होंने अकेले ही समाज को पशुधन संरक्षण की ओर अग्रसर किया।
📖 स्वधर्म और परधर्म
श्रीकृष्ण ने स्पष्ट कहा—
स्वधर्म = आत्मा का धर्म, आत्मबोध में रहना।
परधर्म = शरीर का धर्म, जैसे उपवास, स्नान, बाहरी आडंबर।
उन्होंने सिखाया कि असली वैष्णव वही है जो अपने भीतर के श्रीकृष्ण को पहचान ले।
🌺 गीता का सार
आत्मा शाश्वत है।
कर्म करो, लेकिन फल की इच्छा मत रखो।
मोह और अहंकार से मुक्त होकर धर्म का पालन करो।
जीवन का लक्ष्य है— मोक्ष, न कि केवल सांसारिक सफलता।
🌟 श्रीकृष्ण का अगला अवतार
शास्त्रों में वर्णित है कि योगेश्वर श्रीकृष्ण आगे चलकर तीर्थंकर रूप में जन्म लेंगे और करोड़ों आत्माओं को मोक्षमार्ग पर ले जाएँगे।
🙏 आदर्श पूजा का तरीका
श्रीकृष्ण को केवल माखन-चोरी या रासलीला तक सीमित न करें।
उनकी वास्तविक पूजा है—
उनके ज्ञान को समझना,
गीता के संदेश को जीवन में उतारना,
और भीतर के सच्चे कृष्ण को पहचानना।
🌿 निष्कर्ष
जन्माष्टमी 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि आत्मबोध और आत्मशक्ति का संदेश देने वाला दिन है।
श्रीकृष्ण ने सिखाया कि—
बाहरी परिस्थितियाँ कैसी भी हों,
असली शक्ति है— अंतर की शांति और आत्मबोध।
CGSB News की ओर से सभी दर्शकों और पाठकों को शुभ जन्माष्टमी की मंगलकामनाएँ।
जय श्रीकृष्ण! 🌸