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मिशन अस्पताल भूमि पर जिला प्रशासन का आधिकारिक अधिग्रहण, परिसर में चस्पा हुआ नोटिस

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बिलासपुर। जिला प्रशासन ने बिलासपुर के मिशन अस्पताल की लगभग 11 एकड़ भूमि का सोमवार को प्रशासनिक अधिग्रहण कर लिया। यह कार्रवाई कमिश्नर कोर्ट से प्राप्त आदेश के तहत की गई है, जिसमें अस्पताल की लीज निरस्त कर दी गई थी और पजेशन स्थगन आदेश भी खारिज हो गया था। प्रशासनिक अधिकारियों ने अस्पताल परिसर में नोटिस चस्पा कर दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि जमीन अब जिला प्रशासन के नियंत्रण में है।

अस्पताल की स्थापना और विवाद की पृष्ठभूमि

मिशन अस्पताल की स्थापना वर्ष 1885 में ‘क्रिश्चियन वूमन बोर्ड ऑफ मिशन’ द्वारा की गई थी, और इसे सेवा कार्यों के लिए आवंटित किया गया था। चांटापारा स्थित यह भूमि लगभग 3,82,711 वर्गफीट और 40,500 वर्गफीट के क्षेत्र में फैली है। वर्ष 1966 में लीज का नवीनीकरण किया गया था, जो 31 अप्रैल 1994 तक प्रभावी रही। लीज की शर्तों के अनुसार, कलेक्टर की अनुमति के बिना यहां निर्माण में बदलाव या व्यावसायिक गतिविधियाँ नहीं होनी चाहिए थीं। लेकिन बाद में जमीन के कुछ हिस्से को बेचने और किराए पर देने की शिकायतें सामने आईं, जिसके बाद कलेक्टर अवनीश शरण ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। जांच में शिकायतें सही पाई गईं, और अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।

अस्पताल प्रबंधन का रुख और कानूनी कार्यवाही

अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने पर अस्पताल के निदेशक डॉ. रमन जोगी ने इसे गलत ठहराते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने उन्हें संभागायुक्त न्यायालय और राजस्व बोर्ड में अपील करने की सलाह दी। इसके बाद, 22 अगस्त को डॉ. जोगी ने प्रशासन को सूचित किया कि वे शाम पांच बजे तक परिसर का कब्जा छोड़ देंगे।

अधिग्रहण प्रक्रिया के दौरान अस्पताल की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए, लेकिन किसी ने उनके केबल काट दिए, जिससे प्रशासन को थाने में शिकायत दर्ज करानी पड़ी। इसके बाद, मामले की पुनः सुनवाई के लिए निदेशक ने संभागायुक्त कोर्ट में अपील की, लेकिन 30 अक्टूबर को कमिश्नर महादेव कावरे ने जिला प्रशासन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अपील खारिज कर दी।

महत्वपूर्ण विभागों के हस्तांतरण की प्रक्रिया

डॉ. जोगी ने एक पत्र में यह स्पष्ट किया कि वे अस्पताल के ओपीडी, उपकरण, लेबर रूम, आईसीयू, नवजात शिशु केंद्र, नर्सिंग स्कूल, छात्रावास, क्लासरूम, और रेजिडेंशियल डॉक्टर्स कॉलोनी सहित सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों को प्रशासन को सौंपने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब अस्पताल में होने वाली किसी भी घटना या दुर्घटना की जिम्मेदारी उनकी नहीं होगी।

प्रशासन द्वारा नोटिस का चस्पा और सुरक्षा उपाय

कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर निगम कमिश्नर अमित कुमार, एसडीएम पीयूष तिवारी, नजूल अधिकारी एसएस दुबे, और तहसीलदार शिल्पा भगत ने अस्पताल का निरीक्षण किया। मरीजों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए परिसर का वीडियोग्राफी भी किया गया, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की अनहोनी पर प्रशासन को दोष न दिया जा सके। निरीक्षण के बाद परिसर में विभिन्न स्थानों पर अधिग्रहण की सूचना देने के लिए नोटिस चस्पा किए गए।

हाईलाइट्स:

  • कमिश्नर कोर्ट से आदेश: आदेश के बाद जिला प्रशासन ने अस्पताल का अधिग्रहण किया।
  • प्रबंधन का सहयोग: डायरेक्टर ने कहा कि प्रशासन का पूरी तरह से सहयोग करेंगे।
  • अधिग्रहण प्रक्रिया के दौरान सावधानियां: अस्पताल परिसर में वीडियोग्राफी और नोटिस चस्पा किए गए।

जिला प्रशासन की इस कार्रवाई से यह संदेश स्पष्ट है कि सार्वजनिक सेवा कार्यों के लिए आवंटित भूमि का दुरुपयोग सहन नहीं किया जाएगा और प्रशासन की निगरानी में ऐसी जमीन का उपयोग समाज की भलाई के लिए किया जाएगा।

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