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बिलासपुर सिम्स: सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी, रात्रिकालीन सुरक्षा भगवान भरोसे

बिलासपुर- छत्तीसगढ़: कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इसके बाद से देशभर में चिकित्सकों की सुरक्षा को लेकर आंदोलन हो रहा है। प्रमुख मांग है कि अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए और महिला कर्मियों के लिए विशेष सुरक्षा मुहैया कराई जाए। सरकार भी इस मांग को गंभीरता से लेते हुए चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए नए कानून बनाने पर विचार कर रही है। लेकिन बिलासपुर के छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) में हालात अब भी चिंताजनक बने हुए हैं।

सिम्स में सुरक्षा को लेकर लापरवाही जारी

कोलकाता की दर्दनाक घटना के बावजूद, सिम्स अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। शाम होते ही अस्पताल के परिसर में संदिग्ध व्यक्तियों का आना-जाना जारी रहता है, और कोई उन्हें रोकने या पूछताछ करने की जहमत नहीं उठाता। यहां तक कि सुरक्षा गार्ड भी इन संदिग्धों को नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि रात के समय बड़ी संख्या में महिला स्टाफ और महिला मरीज के परिजन अस्पताल में मौजूद रहते हैं, ऐसे में अगर सुरक्षा व्यवस्था में जल्द ही सुधार नहीं किया गया, तो किसी बड़ी घटना के घटित होने की आशंका बनी हुई है।

रात्रिकालीन सुरक्षा भगवान भरोसे

सिम्स अस्पताल में रात्रिकालीन सुरक्षा का हाल भगवान भरोसे ही है। अस्पताल में तैनात सुरक्षा गार्ड दिखाने के लिए तो मौजूद हैं, लेकिन प्रबंधन की ओर से कोई निगरानी नहीं होने के कारण ये गार्ड अपनी ड्यूटी को गंभीरता से नहीं लेते। नतीजतन, शाम के बाद से ही अस्पताल परिसर पूरी तरह असुरक्षित हो जाता है, और कोई भी व्यक्ति आसानी से किसी भी प्रकार की घटना को अंजाम देकर फरार हो सकता है।

अस्पताल में प्रवेश को लेकर नहीं है कोई पाबंदी

सबसे बड़ी विडंबना यह है कि अंधेरा होने के बाद भी अस्पताल में प्रवेश को लेकर कोई पाबंदी नहीं है। इस वजह से शाम होते ही सिम्स के वार्ड, गलियारे, और आपातकालीन विभाग में संदिग्ध लोग बेखौफ घूमते नजर आते हैं। ये संदिग्ध सुरक्षाकर्मियों के सामने से ही अस्पताल में प्रवेश करते हैं, लेकिन उन्हें रोकने या पूछताछ करने की कोई कोशिश नहीं की जाती। ऐसे में ये लोग बिना किसी डर के अस्पताल में घुस जाते हैं और कई बार असामान्य घटनाओं को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं।

प्रबंधन की उदासीनता से बढ़ रही है खतरे की आशंका

अस्पताल प्रशासन की ओर से सुरक्षा के प्रति इस उदासीनता ने अस्पताल में खतरे की आशंका को बढ़ा दिया है। कोलकाता की घटना के बाद भी सिम्स प्रबंधन ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। अस्पताल में कार्यरत महिला स्टाफ और मरीजों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। अगर जल्द ही सुरक्षा के इंतजाम नहीं सुधारे गए, तो किसी भी वक्त यहां कोई बड़ी घटना हो सकती है।

निष्कर्ष: सुरक्षा में सुधार की तत्काल आवश्यकता

सिम्स अस्पताल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि यहां सुरक्षा व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से पुख्ता करने की जरूरत है। अस्पताल प्रबंधन को चाहिए कि वह सुरक्षा गार्डों की जिम्मेदारियों पर कड़ी निगरानी रखे और अस्पताल में प्रवेश को लेकर सख्त नियम लागू करे। ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके और अस्पताल का माहौल सुरक्षित बनाया जा सके। अगर सुरक्षा के मामले में ऐसे ही लापरवाही जारी रही, तो यह भविष्य में और भी गंभीर परिणामों का कारण बन सकती है।

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