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बार नयापारा में जलभराव से स्वास्थ्य केंद्र की दुर्दशा, पर्यावरणीय क्षेत्र में बुनियादी सुविधा का अभाव

कसडोल | CGSB NEWS  –   छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के अंतर्गत आने वाला बार नयापारा अभ्यारण्य राज्यभर में अपनी जैव विविधता, वन्य जीवों और हरियाली के लिए प्रसिद्ध है। यह अभ्यारण्य पर्यावरण प्रेमियों, शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए एक अहम स्थल है। वहीं इससे कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित पौराणिक धार्मिक स्थल तुरतुरिया भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। इन दो महत्त्वपूर्ण स्थलों के बीच स्थित बार गांव इन दिनों एक बड़ी समस्या से जूझ रहा है — जलभराव और बुनियादी सुविधाओं की कमी।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और वन परिक्षेत्र कार्यालय जलभराव की चपेट में

बार नयापारा चौक से पकरीद-देवपुर मार्ग की ओर बढ़ते ही सड़क के दोनों ओर अत्यधिक मात्रा में पानी जमा दिखाई देता है। इसी मार्ग पर स्थित हैं —

  • वन परिक्षेत्र कार्यालय

  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, बार

ये दोनों संस्थान क्षेत्रीय जरूरतों के लिए बेहद अहम हैं। वन विभाग का कार्यालय अभ्यारण्य प्रबंधन और पर्यावरणीय निगरानी के लिए जिम्मेदार है, वहीं स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीणों के लिए प्राथमिक चिकित्सा का एकमात्र सहारा है। मगर इन संस्थानों के ठीक सामने गंदा पानी और कीचड़ का जमाव बना हुआ है, जिससे इन तक पहुंचना मुश्किल हो गया है।

मौसमी बीमारियों का खतरा, नागरिक चिंतित

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जलभराव की स्थिति पिछले कई महीनों से बनी हुई है, लेकिन अब बारिश के मौसम में यह और गंभीर हो गई है। गंदा पानी जमा रहने के कारण मच्छरों, मक्खियों और अन्य रोग फैलाने वाले कीटों की संख्या बढ़ रही है।

💬 एक ग्रामीण महिला ने कहा –
“हम बीमार होकर इलाज कराने अस्पताल आते हैं, लेकिन यहां कीचड़ और बदबू देखकर तो और डर लगने लगता है। अगर यह हाल रहा, तो बीमारी ठीक होने की बजाय और बढ़ जाएगी।”

स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति बदहाल

स्वास्थ्य केंद्र परिसर में न सफाई व्यवस्था है, न ही जलनिकासी की समुचित व्यवस्था। स्टाफ को भी आने-जाने में परेशानी होती है। बारिश के बाद सड़कें फिसलन भरी हो जाती हैं, जिससे मरीजों और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरा और बढ़ जाता है।

प्रशासन मौन, समाधान दूर

स्थानीय लोगों ने इस संबंध में कई बार पंचायत और जनप्रतिनिधियों को शिकायत दी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नालियों की सफाई, जलनिकासी योजना या सड़क मरम्मत की कोई योजना दिखाई नहीं दे रही है।

एक बड़ा सवाल — क्या प्रकृति और मानव स्वास्थ्य की रक्षा सिर्फ कागजों तक सीमित है?

एक ओर सरकारें पर्यावरण और स्वास्थ्य पर करोड़ों रुपए का बजट बनाती हैं, तो दूसरी ओर राज्य के एक संरक्षित अभ्यारण्य के पास बुनियादी समस्याओं से लोग जूझ रहे हैं। धार्मिक स्थल तुरतुरिया तक जाने वाले श्रद्धालु भी इसी मार्ग से गुजरते हैं, जिससे यह समस्या बाहरी आगंतुकों के सामने भी उजागर होती है।


🔴 CGSB NEWS की अपील:
प्रशासन को इस दिशा में त्वरित और ठोस कदम उठाने चाहिए। स्वास्थ्य केंद्र और वन विभाग जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यालयों के आसपास की स्थिति में सुधार अत्यावश्यक है। नहीं तो यह क्षेत्र, जो छत्तीसगढ़ की पहचान माना जाता है, एक उदाहरण नहीं, चेतावनी बनकर रह जाएगा।

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