CGSB News — 5 कारण जिनसे एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन पर जताया भरोसा
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। पूर्व झारखंड राज्यपाल चंद्रपुरम पोन्नुसामी (सीपी) राधाकृष्णन को एनडीए की तरफ से उम्मीदवार बनाया गया है। बीजेपी ने सहयोगी दलों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ लंबी चर्चा के बाद उनके नाम पर मुहर लगाई।
राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत होने के चलते राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है। पहले इस पद के लिए कई बड़े नेताओं के नामों के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन उनकी घोषणा ने इन अटकलों पर विराम लगा दिया। अब बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों एनडीए ने राधाकृष्णन पर इतना भरोसा जताया? इसके पीछे 5 बड़ी वजहें हैं।
1️⃣ आरएसएस से जुड़ी गहरी जड़ें
सीपी राधाकृष्णन ने राजनीति की शुरुआत एक आरएसएस कार्यकर्ता के रूप में की थी। 1974 में वे जनसंघ की राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य बने और बाद में 2004 में तमिलनाडु इकाई के प्रमुख बने। वे गौंडर जाति से आते हैं, जो तमिलनाडु की प्रभावशाली ओबीसी जाति है। उनकी छवि जमीन से जुड़े और समाजसेवा करने वाले नेता की है।
2️⃣ मजबूत राजनीतिक करियर
राधाकृष्णन दक्षिण भारत से बीजेपी के इकलौते नेता हैं जो लगातार दो बार लोकसभा पहुंचे।
1998 और 1999 में वे कोयंबटूर सीट से सांसद चुने गए।
1998 में उन्होंने डीएमके उम्मीदवार को 1.5 लाख वोटों से हराया था।
हाल ही में, फरवरी 2023 से जुलाई 2024 तक वे झारखंड के राज्यपाल रहे।
3️⃣ साफ-सुथरी और स्पष्टवादी छवि
पार्टी के भीतर और बाहर उन्हें व्यावहारिक, ईमानदार और बिना विवाद वाला नेता माना जाता है। सहकर्मी उन्हें मिलनसार और साफ-सुथरी छवि वाले व्यक्ति के रूप में जानते हैं। उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के बाद उन्होंने कहा—
“मुझ पर जताए गए विश्वास से मैं अभिभूत हूं। अंतिम सांस तक राष्ट्र की सेवा करता रहूंगा।”
4️⃣ ‘कोयंबटूर के वाजपेयी’
सीपी राधाकृष्णन अपनी सौहार्दपूर्ण राजनीति और मृदुभाषी स्वभाव के कारण ‘कोयंबटूर के वाजपेयी’ कहे जाते हैं। वे राजनीतिक मतभेदों के बावजूद सभी से अच्छे संबंध बनाए रखते हैं। यही कारण है कि वे तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि पूरे देश में स्वीकार्य चेहरा हैं।
5️⃣ दक्षिण भारत में बीजेपी की रणनीति
राधाकृष्णन का चयन बीजेपी की साउथ पॉलिटिक्स की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। विशेषकर तमिलनाडु में, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी चाहती है कि उनके जरिए दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत की जाए।
चुनावी समीकरण
नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख: 22 अगस्त 2025
मतदान की संभावित तिथि (अगर विपक्ष उतरे): 9 सितंबर 2025
चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू संभालेंगे।
👉 इन सभी कारणों को देखते हुए माना जा रहा है कि ‘कोयंबटूर के वाजपेयी’ कहे जाने वाले सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना लगभग तय है। यह बीजेपी की दक्षिण भारत में पकड़ मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम भी साबित हो सकता है।