जैविक खेती से लाभ और प्रेरणा: ग्राम रजपालपुर के किसान श्री सखाराम चौधरी की मिसाल
CGSB News: सतत कृषि और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक उल्लेखनीय उदाहरण पेश करते हुए ग्राम पंचायत रजपालपुर के कृषक श्री सखाराम चौधरी (पिता श्रीमान घासीराम चौधरी) ने जैविक खाद से खेती कर न केवल अपनी उपज में वृद्धि की है, बल्कि दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा बने हैं। हमने उनसे विस्तार से बातचीत की, जिसमें उन्होंने जैविक खाद के उपयोग, इसके लाभ और अपनी बाड़ी में लगे पौधों के बारे में जानकारी दी।
🌾 जैविक खाद से खेती क्यों चुनी?
श्री सखाराम चौधरी बताते हैं:
“मैंने लगभग 4 साल पहले रासायनिक खादों से दूरी बनाकर पूरी तरह जैविक खाद से खेती शुरू की। शुरुआत में थोड़ी कठिनाई आई, लेकिन आज मुझे समझ आ गया कि यह न सिर्फ फसल के लिए, बल्कि जमीन और पर्यावरण के लिए भी बेहतर है।”
वे बताते हैं कि जैविक खाद जैसे गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नीम की खली, जीवामृत और पंचगव्य का उपयोग करने से:
मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है,
फसल की गुणवत्ता और स्वाद में सुधार आता है,
लागत कम होती है,
और सबसे बड़ी बात, ज़मीन की सेहत वर्षों तक बनी रहती है।
💰 किस प्रकार के फायदे मिले?
श्री चौधरी बताते हैं कि पहले की तुलना में अब:
फसल की पैदावार लगभग 20–25% बढ़ी है,
खेती की लागत कम हो गई है, क्योंकि रासायनिक खाद और दवाइयों पर खर्च नहीं करना पड़ता,
बाज़ार में जैविक उपज का मूल्य अधिक मिलता है, जिससे आमदनी में भी वृद्धि हुई है।
उनके अनुसार, “जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियां और अनाज ग्राहक बिना मोलभाव के खरीदते हैं, क्योंकि उन्हें भरोसा है कि यह शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक है।”
🌿 बाड़ी में पौधों से अतिरिक्त कमाई
श्री सखाराम ने अपने घर के पास एक बाड़ी (होम गार्डन) भी तैयार की है, जिसमें उन्होंने विभिन्न फलदार और सब्ज़ी पौधे लगाए हैं, जैसे:
पपीता, नींबू, अमरूद, सहजन
पालक, भिंडी, लौकी, टमाटर, मिर्च आदि
“इन पौधों से घर की ज़रूरतें तो पूरी होती ही हैं, साथ ही बचे हुए उत्पाद को बाज़ार में बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी हो जाती है।”
वे बताते हैं कि बाड़ी से उन्हें लगभग 5000–7000 रुपये प्रति माह की अतिरिक्त आमदनी हो जाती है, और यह सब पूरी तरह जैविक पद्धति से संभव हुआ है।
🧠 दूसरे किसानों के लिए संदेश
श्री सखाराम चौधरी का स्पष्ट संदेश है:
“अगर हम आज जैविक खेती की ओर नहीं लौटे, तो आने वाली पीढ़ियों को ज़हरीली मिट्टी और प्रदूषित पर्यावरण ही मिलेगा। शुरुआत में थोड़ा धैर्य चाहिए, लेकिन एक बार आदत बन जाए तो इसके फायदे खुद दिखाई देने लगते हैं।”
📸 श्री सखाराम चौधरी की जैविक खेती और बाड़ी की झलक
✅ निष्कर्ष
ग्राम रजपालपुर के श्री सखाराम चौधरी यह साबित करते हैं कि जैविक खेती केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि भविष्य की आवश्यकता है। उन्होंने अपने अनुभव से यह दिखा दिया है कि यदि सही जानकारी, मेहनत और लगन हो, तो जैविक खेती से न केवल लाभ कमाया जा सकता है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा और समाज के स्वास्थ्य में भी योगदान दिया जा सकता है।
CGSB News ऐसे किसानों की कहानियों को आगे लाकर, जैविक खेती के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास करता रहेगा।