नई दिल्ली |
जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देकर पूरे राजनीतिक गलियारों को चौंका दिया है। भले ही उन्होंने “स्वास्थ्य कारणों” का हवाला दिया हो, लेकिन विपक्ष इसे आत्मसम्मान और संवैधानिक असंतोष से जुड़ा कदम मान रहा है।
कांग्रेस ने इस इस्तीफे को एक ‘गंभीर संस्थागत अपमान’ बताया है और कहा है कि मामला सिर्फ सेहत का नहीं, बल्कि लोकतंत्र के भीतर छिपे टकराव का संकेत है।
🛑 क्या हुआ BAC बैठक में?
बुधवार को राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक दो बार बुलाई गई।
पहली बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और किरण रिजिजू शामिल थे।
दूसरी बैठक शाम 4:30 बजे थी, लेकिन दोनों मंत्री बिना सूचना अनुपस्थित रहे।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इसे संवैधानिक गरिमा का अपमान मानते हुए अगली बैठक टाल दी।
अगले ही दिन उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया।
🗣️ विपक्ष का आरोप: ये सिर्फ इस्तीफा नहीं, संकेत है
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा,
“दोपहर से शाम के बीच कुछ गंभीर हुआ… यह इस्तीफा सिर्फ स्वास्थ्य कारण नहीं हो सकता।”
धनखड़ ने अपने कार्यकाल में कई बार सत्ता के विरुद्ध जाकर किसानों, न्यायपालिका और विपक्ष की बात खुले तौर पर रखी। वह लोकतंत्र में संतुलन बनाए रखने की आखिरी कुछ आवाजों में से एक माने जा रहे थे।
❗ क्या G2 शासन नहीं चाहता था स्वतंत्र उपराष्ट्रपति?
धनखड़ को लेकर कई बार चर्चा रही कि वे सरकार के दबाव में झुकने से इनकार करते रहे।
उन्होंने न्यायपालिका की जवाबदेही पर सवाल उठाए
किसानों के मुद्दे पर खुलकर बोले
विपक्ष को बोलने का बराबर अवसर देने की कोशिश की
यह सब शायद कुछ लोगों को असहज करता रहा।
🔍 अब आगे क्या?
मानसून सत्र में विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाएगा
संसदीय गरिमा, संवैधानिक संस्थानों की स्वतंत्रता और कार्यपालिका की दखल पर खुली बहस तय है
यह इस्तीफा एक व्यक्ति का नहीं, लोकतांत्रिक संतुलन का संकट भी कहा जा सकता है